Last sunday was pretty dull, spent the whole day at home. Watched a part of the amazing federrer-nadal match, and then a romantic senti movie in which the lovers separate.
So on the motivation of a dear friend, I decided to use the mood and wrote these lines...
विरह की पीड़ा हूँ झेल रहा,
बिखरी यादों के मोती बीन रहा
जब से हुई है तू दूर मुझसे,
हर लम्हा है गम और आंसू के मेले से भरा।
आंखों में तपिश और रूह की जलन,
हर तरफ़ फैलता सा एक सूनापन
उदासी और मायूसी से भरा,
इस सन्नाटे में तुझे ही पुकारता है मन।
दिल को चीरती है तेरे जाने की आवाज़,
फीके लग रहे हैं दुनिया के सभी साज़
कुचल दे भले ही मेरे अरमानों का गुलशन,
तड़पा करेंगे ऐसे ही जब तू होगी नाराज़।
ना तारों में चमक ना फूलों में खुशबू है,
तुझ बिन तो ये साँसें ही अधूरी हैं
माना की ये काया तो है ही नश्वर,
लेकिन ये आत्मा भी तो तुम्हारी है।
Disclaimer - Might sound cheeky :D
Tuesday, February 3, 2009
Subscribe to:
Posts (Atom)