Every India must be feeling the same emotions right now. My mind has gone numb with continuous news forecasting. I was supposed to be in Mumbai right now for a friend's wedding, but alas. Here are a few words which express my feelings ...
ये तबाही का मंज़र क्यूँ फैला रहे हो,
ये गोले ये बम क्यूँ ला रहे हो।
दो साँसे तो चैन की लेने दो,
अब तो हमें जीने दो।
वो बाप जिसके दो छोटे बच्चे हैं,
वो जोड़ा जिसने शादी की मेंहदी से हाथ रचे हैं,
दो पल प्यार तो उन्हें करने दो,
अब तो हमें जीने दो।
ज़िन्दगी की भाग-दौड़ में लगे हुए हैं,
फिर भी ये लोग डटे हुए हैं।
जीवन का अमृत-ज़हर ख़ुद इन्हें पीने दो,
अब तो हमें जीने दो।
क्या आतंक से किसी को कुछ हासिल हुआ,
क्या खुदा का नाम इससे कामिल हुआ,
ऊपर वाले को इस दुनिया पे शर्मिंदा मत होने दो,
अब तो हमें जीने दो।
ज़मीन पे खून, आसमान में धुआं,
ज़न्नत को क्यूँ ज़हंनुम बना रहे हो,
हँसी के दो फूल तो यहाँ खिलने दो,
अब तो हमें जीने दो।
आंखों से नफरत का परदा उतारकर देखो,
हर इंसान को अपना तो बनाकर देखो,
खुदको समझने को मौका तो दो,
अब तो हमें जीने दो।
Sunday, November 30, 2008
Saturday, November 29, 2008
I promise that I am going to continue this time. I have blogging on and off for a couple of years and now that I'll not be able to work much for next few months, I might as well write a few things.
I have a bad news though. Sometime back, my hard-disk crashed and I have lost many of my poems. I'll be posting the ones that have remained in my inbox.
Will come back with a poem.
Chau
I have a bad news though. Sometime back, my hard-disk crashed and I have lost many of my poems. I'll be posting the ones that have remained in my inbox.
Will come back with a poem.
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